यह सिर्फ़ एक लड़की की कहानी नहीं, बल्कि हर उस औरत की लड़ाई है जो परंपराओं की जंजीरों से आज़ाद होना चाहती है।
तमिलनाडु के वीरप्पन्नई गाँव में एक अजीब रिवाज़ चलता था।
गाँव की हर लड़की का सपना तब खत्म हो जाता जब उसकी ज़िंदगी में पहली बार मासिक धर्म आता। उसी दिन से शादी की तैयारियाँ शुरू — किताबें बंद, सपने खत्म।
गाँव वाले कहते —
“लड़कियों का काम शादी करना है, पढ़ाई नहीं।”
मगर सेल्वी की माँ ने अपनी बेटी की आँखों में चमक देख ली थी। वो जानती थी कि अगर समाज के सामने उसकी ‘पहली बार’ की ख़बर पहुँच गई, तो बेटी का सपना हमेशा के लिए दफन हो जाएगा।
हर सुबह सेल्वी स्कूल के लिए निकलती, मगर दिल में एक डर लेकर — कहीं सच सामने न आ जाए।
गाँव की औरतें उसे घूरतीं, ताने मारतीं, और उसके पीछे अफ़वाहें फैलातीं।
पर माँ-बेटी चुपचाप सब झेलती रहीं।

उस छोटे से गाँव की घुटन भरी हवा में, सेल्वी की किताबें उसके लिए ताज़ी हवा बन गईं।
कभी-कभी रात को दीये की लौ में पढ़ाई करते हुए वो सोचती —
“अगर मैं डॉक्टर बन गई, तो एक दिन ये गाँव भी बदलेगा।”
Ayali सिर्फ़ एक वेब सीरीज़ नहीं, बल्कि हक़ीक़त का आईना है —
जहाँ परंपरा और पितृसत्ता लड़कियों के सपनों को कुचल देती है।
मगर अगर एक माँ और बेटी साथ खड़ी हों, तो सबसे बड़ी रिवायत भी हिल सकती है।





