जब एक शाही मर्द कोठे की चौखट पर झुका
राजस्थान के शाही इलाकों में, जहाँ राजवंशों का गौरव अब भी हवाओं में घुला था, वहाँ ठाकुर रणविजय सिंह का नाम सबसे ऊँचा था।
ठाकुर साहब के लिए हर नायाब चीज़ पर बस उनका हक था।
और उस रात, जब उन्होंने कोठे की सबसे खूबसूरत लड़की सौम्या को देखा, तो उनके अंदर का वहशी जाग उठा।

“ये सिर्फ मेरी होगी!”
वो उसकी खूबसूरती से इस कदर दीवाना हो गया कि उसने उसे खरीदने की नहीं, बल्कि अपनाने की ठानी।
सौम्या ने अपनी ज़िन्दगी में हजारों भूखे भेड़ियों को देखा था, लेकिन रणविजय अलग था – उसमें सिर्फ हवस नहीं, अधिकार की भूख थी।
“तुझे रानी बनाकर ले जाऊँगा… बस मेरी बनकर रहना होगा।“
सौम्या को लगा कि अब उसका अंधेरा खत्म होगा… पर उसे नहीं पता था कि असली अंधेरा महल में उसका इंतजार कर रहा था।