“छुपे जज़्बात: प्यार, दूरी और अधूरे एहसास”
विनिता एक आकर्षक, आत्मविश्वासी महिला थी, जिसकी खूबसूरती और व्यक्तित्व ने हमेशा लोगों को अपनी ओर खींचा था। उसके पति, अंकुश, एक प्रभावशाली उद्योगपति थे, जिनकी रौबदार मौजूदगी और सख्त अनुशासन के पीछे एक गहरी भावुकता छिपी थी। उनकी शादी बाहरी तौर पर परफेक्ट लगती थी, लेकिन उनके निजी जीवन में एक अदृश्य खिंचाव था।

जब अंकुश और विनिता की शादी हुई, तो सबकुछ किसी सपने जैसा था। पहली रात सिर्फ़ एक मिलन नहीं, बल्कि उन अनकहे जज़्बातों का खुलासा थी, जो बरसों से उनके दिलों में कैद थे।
विनिता ने खुद को पूरी तरह अंकुश के हवाले कर दिया, यह सोचकर कि अब उसकी ज़िंदगी में सिर्फ प्यार, सुरक्षा और अपनापन होगा। उस रात की हर छुअन, हर सांस ने उसे यह यकीन दिलाया कि अब वह कभी अकेली नहीं होगी।
लेकिन… वक़्त ने यह यकीन तोड़ दिया।
रातें गुज़रीं… और अब उन लम्हों की गर्माहट धीरे-धीरे धुंध में खोने लगी थी।
जो चाहत कभी पूरी लगती थी, अब अधूरी रह जाती थी।
पर यह सिर्फ़ जिस्म की अधूरी तड़प नहीं थी।
कुछ और भी था।
कुछ ऐसा, जिसे वह खुद भी ठीक से समझ नहीं पा रही थी।
क्या वह खुद से भाग रही थी?
या किसी सच से, जो अब भी अंधेरे में छुपा था?
अब सवाल यह नहीं था कि वह क्या छुपा रही थी।
सवाल यह था कि क्यों?
और सबसे डरावनी बात—अगर वह सच सामने आ गया तो क्या बचेगा?