अधूरी ममता, अधूरा बदला
रेणुका की आँखों में आँसू छलक आए, लेकिन इस बार ये आँसू दर्द के नहीं, गुस्से के थे।

“तूने मेरी बेटी को सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए मुझसे अलग कर दिया?”
उसकी आवाज़ कांप रही थी, लेकिन उसमें एक अलग ही आग थी।
“सिर्फ इसलिए कि तेरा बेटा पूरा दूध पी सके?”
“तूने एक माँ की ममता को कुचल दिया, सिर्फ इसलिए कि तेरा रिश्ता बचा रहे?”