HomeFictional"शादी की रातों की तड़प और मातृत्व का अनजाना रहस्य!"

“शादी की रातों की तड़प और मातृत्व का अनजाना रहस्य!”

एक साल बाद – वो लौट आई

एक दिन, वही अनजान शख्स फिर लौटा।

उसने एक नन्ही बच्ची को गोद में उठाया और रेणुका के सामने रख दिया।

“इसे ले लो, इससे अब और संभला नहीं जाता!”

रेणुका कांप गई।
उसने बच्ची को अपनी गोद में लिया, लेकिन उसके दिल में बस गुस्सा और दर्द था।

वर्तमान – फूट पड़ा गुस्सा

रेणुका की आँखों में आँसू छलक आए, लेकिन इस बार ये आँसू दर्द के नहीं, गुस्से के थे।

“तूने मेरी बेटी को सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए मुझसे अलग कर दिया?”

उसकी आवाज़ कांप रही थी, लेकिन उसमें एक अलग ही आग थी।

“सिर्फ इसलिए कि तेरा बेटा पूरा दूध पी सके?”

“तूने एक माँ की ममता को कुचल दिया, सिर्फ इसलिए कि तेरा रिश्ता बचा रहे?”

रेणुका का पूरा शरीर गुस्से से कांप रहा था।

उसने विनिता की तरफ देखा—जिसका चेहरा सफ़ेद पड़ चुका था।

“मैं तुझे कभी माफ़ नहीं करूंगी, विनिता!”

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