HomeFictional"शादी की रातों की तड़प और मातृत्व का अनजाना रहस्य!"

“शादी की रातों की तड़प और मातृत्व का अनजाना रहस्य!”

शादीशुदा जिंदगी में कैद

उसका जिस्म अकड़ गया, लेकिन उसकी आत्मा इस दर्द से भी ज्यादा टूट रही थी।

उसका दिमाग़ सुन्न पड़ गया।
उसकी आत्मा जैसे किसी और जगह भाग रही थी।
पाँच साल पहले… अस्पताल का एक कमरा।

सफ़ेद दीवारें।
टीक-टिक करती घड़ी।
एक धीमी आवाज़…

“तुम्हें अब कोई फर्क़ नहीं पड़ना चाहिए।”

फिर…
एक नन्हा सा चेहरा।
छोटी मासूम आँखें।
गोद में उठाए कोई खड़ा था।

“कौन था वो?”

वर्तमान…

विनिता का जिस्म अकड़ा हुआ था, मगर दिमाग़ उसी सवाल में उलझा था।

“क्या कुश…?”

वह हिम्मत जुटाकर बिस्तर से उठी।
अंकुश बेसुध पड़ा था, शायद इस बात से भी अनजान कि उसने क्या किया।

वह काँपते हाथों से दरवाज़ा खोली और धीरे-धीरे बाहर निकली।

रात के अंधेरे में, पूरे घर में खामोशी थी।
सिर्फ़ घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे रही थी।

वह जैसे ही सीढ़ियों की ओर बढ़ी…

तभी, किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा।
या कोई और

“रेणुका?”

सच अब और ज़्यादा देर तक छुप नहीं सकता था।

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