जब माँ ने खुद अपने बेटे को मौत की तरफ धकेल दिया
फिर आई वो रात…
सौम्या को पता था कि रणविजय आज ज्यादा नशे में है।
बस थोड़ी देर में वो रुबीना के पास जाएगा…
“जब दो जिस्म मिलेंगे, तो हलचल तो होगी…”

लेकिन…
वो हलचल सुनकर जब सौम्या ने दरवाजा खोला…
तो जो उसने देखा, उससे उसकी सांसें थम गईं!
बिस्तर पर रणविजय नहीं था…
वहाँ देव और रुबीना थे…
उसका बेटा, जिसे उसने बचाने के लिए ये खेल खेला था… अब वही इस मौत के खेल में फँस चुका था।
अब AIDS सिर्फ रणविजय के लिए नहीं था…
अब देव भी उसी मौत की आगोश में था।