खूबसूरत मौत की चाल
सौम्या फिर उसी कोठे पर पहुँची, जहाँ उसकी कहानी शुरू हुई थी। अब वह कमजोर नहीं थी—रणविजय को मिटाने का इरादा पक्का था।
वहाँ उसकी मुलाकात रुबीना से हुई—हुस्न की मूरत, लेकिन मौत का सामान। एक वहशी ने उसे लाइलाज बीमारी दे दी थी, और अब वह अंतिम दिनों की ओर बढ़ रही थी।

सौम्या ने उसकी आँखों में देखा और प्यार से कहा,
“मेरे घर चलो, कम से कम सुकून से जिओगी।”
रुबीना की बुझी आँखों में उम्मीद जागी। “शायद पहली बार अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जी सकूं।”
सौम्या को यकीन था, रणविजय उसकी खूबसूरती पर फिदा हो जाएगा।
महल में कदम रखते ही उसकी चाल चल पड़ी। पर सौम्या को अंदाजा नहीं था कि यह खेल जितना आसान दिखता था, उतना ही खतरनाक मोड़ लेने वाला था।