जब एक औरत का सब्र टूटता है…
18 साल!
पूरे 18 साल सौम्या ने हर ज़ुल्म सहा।
हर रात मार, चीख, और बेज़ारी।
हर सुबह आँखों में आँसू और दिल में जलन।

पर जब रणविजय ने देव को भी पीटकर अधमरा कर दिया…
तब सौम्या को समझ आ गया – अब उसे कुछ करना होगा!
पुलिस? कोर्ट?
नहीं!
वो ठाकुर राजवंश को बदनाम नहीं कर सकती थी, क्योंकि इसमें देव की भी बदनामी थी।
उसने सोचा कि अगर रणविजय को मिटाना है, तो ऐसे कि कोई उसे दोषी ना ठहरा सके।